
पुरुष स्वभाव से ही भोगी होता है. उसके लिए प्यार और सेक्स की महीन रेखा को पार करना बेहद आसान होता है. अकसर पुरुषों की तुलना महिलाएं 'कुत्ते' से करती हैं क्यूंकि जिस तरह कुत्ता कभी एक प्रेमिका के साथ खुश नहीं रहता उसी तरह अधिकतर पुरुष भी कभी एक स्त्री से संतुष्ट नहीं होते.
कई मायनों में यह कहा जाता है कि महिलाओं में सेक्स की भावना पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है लेकिन महिलाएं अकसर अपने बुरे समय में सेक्स नहीं सिर्फ स्पर्श की चाह रखती हैं. बुरे समय में वह चाहती हैं कि कोई उन्हें प्यार से अपनी बाहों में भर ले और उनकी परेशानी को कुछ देर के लिए दूर कर दे. महिलाएं मुसीबत या कठिनाई के दौर में सेक्स के बारे में सोच भी नहीं सकतीं.
लेकिन इसके विपरीत पुरुषों के साथ यह मामला थोड़ा उलटा है. अधिकतर पुरुष खासकर आजकल का युवा वर्ग अपनी कठिनाई के समय भी अपने काम-भाव को नहीं छोड़ पाता. इक्जाम का टेंशन हो या नौकरी ना मिलने का दर्द इन सब पर एक औरत की प्यार भरी निगाहें उन्हें हर दर्द से छुटकारा दिला देती हैं.