
हस्तमैथुन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. लेकिन उसके प्रभाव थोड़े अलग हैं. पुरुषों को हस्तमैथुन जहां आनंद का अनुभव दिलाता है वहीं महिलाओं में हस्तमैथुन उनके तनाव का कारण बनता है. जो महिलाएं किशोरावस्था में मैथुन शुरू कर देती हैं, उन्हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्यादा अनुभव नहीं होता. कारण अकेलेपन की चाहत. इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं. ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्हें गुस्सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है.
जरूरत से ज्यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. इस वजह से गुप्तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है. यही नहीं इससे आगे चलकर बच्चा होने में भी दिक्कत होती है.
अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्छाएं कम होने लगती हैं. ऐसा करने पर उन्हें संभोग में ज्यादा मजा नहीं आता और फिर उन्हें सेक्स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्कत होती है.